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छोटा ही सही मगर मकान जरूरी है|| Homelessness is neither disease or crime but a very serious peoblem||

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homelessness is neither disease or
homelessness is neither disease or

रोटी कपड़ा और मकान ये तीन चीज़े ऐसी है जिनकी जरूरत हर एक व्यक्ति को होती है। इन तीनो मे से किसी एक को भी हटा दिया जाए तो मानो इंसान के पास बाकी दो के होने का भी कोई मतलब नहीं। मकान का महत्व केवल वही लोग बता सकते है जिनके सर पर छत नही होती, हाँ वही व्यक्ति जो झाड़े की रात में भी किसी दुकान के सामने अपना बिस्तर बिछा कर सोता है उसे किसी भी हाल में वो रात काटनी है बस। हाँ वही लोग जो असमर्थ है अपनी हालातो को सुधारने मे। वह व्यक्ति जो चाहे जितनी भी मेहनत क्यो ना कर ले गरीबी के चंगुल से बाहर नही निकल सकता। एक मकान की जरूरत किसे नही होती एक पक्षी को ही देख लो चाहे दिन भर कितनी ही आसमान की ऊंचाइयों को छू ले पर रात को लौट कर अपने बनाए घोसले पर ही आता है।

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उसी तरह है एक मनुष्य जो हमेशा एक छत चाहता है, एक ऐसी जगह जहा उसे कुछ भी करने की आज़ादी हो, ऐसी जगह जहा वो पूरी दुनिया के नज़रों से छुप सके, जहा उसे कोई टोकने वाला ना हो। इंसान पूरी जिंदगी ऐसा घर बनाना चाहता है जहा उसकी मनपसंद चीज़े हो, जहा वो और उसका परिवार खुशी से रह सके। ऐसा ही घर बनाने के लिए वो अपनी पूरी जिंदगी खुशी खुशी कुर्बान कर देता है।

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तो अब सोचने वाली बात है कि ऐसा आदमी कैसा महसूस करता होगा जिसके पास घर नही होता। ऐसे ना जाने कितने लोग है जो बस एक कमरा चाहते है जहा वो रह सके लेकिन दुख की बात है की भारत में ऐसे बेघरों की संख्या 17 लाख से भी अधिक है।

इन 17 लाख लोगो मे 4 लाख बच्चे है, ये बच्चे गलियो और सड़को मे ही अपना सारा समय गुज़ारते है और कोई इन पर ध्यान नही देता जिस कारण ऐसे बच्चे गलत काम भी करने लग जाते है। इन बच्चो से भीख मांगने को कहा जाता हैं, इनके लिए पढाई का कोई प्रबंध नही होता, इनसे बाल मजदूरी कराई जाती है और कभी कभी तो बेच तक दिया जाता है। बेघर होने के बहुत से कारण है लेकिन मुख्य कारण है, सस्ते मकानों की कमी, अपर्याप्त रोजगर, शारिरिक या मानसिक बीमारी, मादक द्रव्यों का सेवन, विकलांगता, नौकरी खोना या घरेलू हिंसा।

ससते मकानो की कमी- शहरों मे मकान बहुत ही महंगे है जिस कारण गरीब लोगो को अपनी रातें सड़को पर गुजारना पड़ता है। अपर्याप्त रोजगर- गरीब लोग ज्यादा पढ़े लिखे नही होते जिस कारण उन्हे कोई भी व्यक्ति रोजगार नही देना चाहता और वो इस गरीबी के चंगुल से कभी भी बाहर नही निकल पाता। शारिरिक या मानसिक बीमारी- कुछ लोग शारिरिक तौर पर बीमार होते है और काम करने मे असमर्थ भी तो ऐसे लोगो का बेघर होना स्वभाविक है, कुछ लोग मानसिक तौर पर बीमार होते है और ऐसे लोग के पास ना कोई नौकरी होती है ना घर।

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मादक द्रव्यों का सेवन- ऐसे लोग जो मादक पदार्थों जैसे कि शराब, गांजा आदि के शिकार हो जाते है उन्हे और किसी भी चीज की अवश्यकता महसूस नही होती और वो इसी तरह बेघर हो जाते है। नौकरी खोना – नौकरी खोने के कारण भी बहुत से लोग सड़को पर आ जाते है क्योकि पूरा घर केवल एक व्यक्ति पर निर्भर होता है। घरेलू हिंसा – बहुत सारी ग़रीब महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती है जिस कारण वो अपना घर छोड़ देती है, कुछ महिलाएं यह हिंसा केवल इस लिए सेहती है कि कही उन्हे बेघर ना होना पड़े।
बेघरों की समस्या

1)कठोर जलवायु – बेघर लोग ज्यादातर टेंटस या पुलो के नजदीक रहते है जहा इन्हे गर्मियो मे लू और सर्दियों मे शुष्क मौसम का सामना करना पड़ता है। इन कठोर परिस्थितियों में कही बार अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है।

2) स्वास्थ सेवाओं से वंछित – बेघर व्यक्ति स्वास्थ्य संबंदित सेवाओ का लाभ भी नही ले पाते क्योकि हॉस्पिटलों को इलाज़ के लिए भी पहचान पत्रों की ज़रूरत होती हैं जो इन लोगो के पास नहीं होती।

3) लोगो द्वारा दुर्व्यवहार -बेघरों का कोई ठिकाना ना होने के कारण बहुत से लोग इन्हे शक की निगाहों से देखते है कुछ लोग तो इनके साथ दुर्व्यवहार भी करते है।इन लोगो को कोई भी नौकरी नही देना चाहता कियोकि ये लोग पढ़े लिखे नही होते।

4) बच्चो और औरतों के साथ दुराचार :बेघर औरतो के साथ दुराचार के बहुत से मामले भी सामने आते है, बाल मजदूरी आदि भी इसमे शामिल है। इन सब परिस्थितियों में ये लोग मानसिक रूप से भी टूट जाते है।

भारत सरकार द्वारा ऐसे लोगो के लिए अनेक योजनाए बनाई है जिसमे से एक है प्रधान मन्त्री आवास योजना – इस स्कीम के अंतर्गत एफॉर्डब्ल हाउसिंग को बड़ावा दिया गया है। इस योजना का मुख्य काम कम पैसों मे घर बना कर सभी देशवासियों को मकान प्रदान करना है।

मुफ्त रात्रि आश्र्य – सरकार द्वारा बेघरों के लिए मुफ़्त रात्रि आश्र्य का भी प्रबंध किया जाता है, इन्हे बहुत कम रुपयों में खाने की व्यवस्था भी सरकार या किसी संघ द्वारा किया जाता है। यह बहुत जरूरी है की सरकार इन लोगों की मदद करे और खास कर इस समय पर जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रही है। बेघरों मे बीमारी का तेज़ी से फैलना स्वभाविक है कियोकि इनके पास ना कोई स्वास्थ्य सुविदा है ना ही खाने के लिए रोटी । कोरोना काल के बाद ऐसे लोगों की संख्या मे बढोत्तरी हुई है क्योकि कोरोना के कारण बहुत लोगो को अपना रोजगार गवाना पड़ा और ऐसे गरीब लोग बेघर हो गए जो मकान का किराया चुकाने में असमर्थ थे।

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बेघर होना भारत की एक आर्थिक और सामाजिक समस्या है। जबकि पिछले कुछ दशको मे इसमें बहुत सुधार आया है और ऐसे बेघरों की संख्या मे कमी हुई है लेकिन ये समस्या अभी तक जड़ से समाप्त नही हुई है। अभी भी भारत की 0.15% लोग सड़को पर है जो देखने मे तो कम लग रही है लेकिन इनकी संख्या 17 लाख है।

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ये केवल वही लोग है जिनके पास छत नही है ना जाने ऐसे कितने और लोग है जो मलिन बस्तियों मे रहते है जहा पानी और सफाई की कोई सुविधा नही है। इन सब से ये भी पता चलता है की अभी सरकार को इस बारे में विशेष रूप से ध्यान देने की आवाश्यकता है और ठोस कदम उठाने चाहिए क्योकि यह हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है। आशियाना जरूरी है, छोटा ही सही पर मकान जरूरी है।

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